Durga Mata
दुर्गा माता हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं, जिन्हें शक्ति और विनाशकारी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा को अजेय देवी माना जाता है, जो अज्ञान, अहंकार, अन्याय और अत्याचार को नष्ट करती हैं। दुर्गा का मतलब होता है "जो दुर्गम है" यानी जो कष्टों को दूर करती हैं।
दुर्गा माता की उत्पत्ति
दुर्गा माता की कथा के अनुसार, महिषासुर नामक एक असुर ने अपनी शक्ति और तपस्या से वरदान प्राप्त कर लिया था कि वह किसी देवता या पुरुष द्वारा मारा नहीं जा सकता। इसके बाद महिषासुर ने तीनों लोकों में अत्याचार करना शुरू कर दिया। उसे पराजित करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश (त्रिमूर्ति) ने अपनी-अपनी शक्तियों से एक स्त्री का निर्माण किया। यह स्त्री शक्ति रूपा दुर्गा थीं, जो असुरों को नष्ट करने के लिए प्रकट हुई थीं।
दुर्गा माता ने महिषासुर का वध किया और सभी देवताओं और लोकों को उसकी दुष्टता से मुक्त किया, जिसके बाद उन्हें महिषासुरमर्दिनी कहा जाने लगा।
दुर्गा माता के नौ रूप (नवदुर्गा):
1. शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या करने वाली।
3. चंद्रघंटा – चंद्रमा के आकार की घंटा धारण करने वाली।
4. कूष्मांडा – ब्रह्मांड की रचना करने वाली।
5. स्कंदमाता – भगवान कार्तिकेय की माता।
6. कात्यायनी – कात्यायन ऋषि की पुत्री।
7. कालरात्रि – काल को भी हरने वाली।
8. महागौरी – शुद्धता और शांति की देवी।
9. सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली।
दुर्गा पूजा:
दुर्गा पूजा विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह उत्सव मुख्य रूप से नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है, जिसमें नौ दिनों तक देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। दशहरे के दिन, दुर्गा माता के असुर महिषासुर पर विजय का उत्सव मनाया जाता है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
दुर्गा माता के प्रतीक:
· सवारी: दुर्गा माता का वाहन शेर है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
· हथियार: उनके हाथों में कई हथियार होते हैं, जैसे तलवार, त्रिशूल, चक्र, आदि, जो बुराई और नकारात्मकता को नष्ट करने का प्रतीक हैं।
· कमल: देवी के हाथों में कमल फूल भी होता है, जो पवित्रता और शुभता का प्रतीक है।
दुर्गा माता का महत्व: दुर्गा माता को संकटों से मुक्ति दिलाने वाली, भय का नाश करने वाली और साधकों को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। उनका पूजन जीवन में सकारात्मकता और शांति लाने के साथ-साथ बुराई और कष्टों को समाप्त करने के लिए किया जाता है।
© 2024. All rights reserved.


Address: Tara Mata Mandir, Near Bishop cotton school,
BCS Market, Shimla, Himachal Pradesh.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ।।
जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणामलोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम ।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा ।।
Developed by :