


ॐ दुर्गायै नमः।
ॐ महाकाल्यै नमः।
ॐ चामुंडायै नमः।
ॐ भद्रकाल्यै नमः।
तारा माता मंदिर शिमला के BCS क्षेत्र में स्थित एक धार्मिक स्थल है, जो माता तारा को समर्पित है। माता तारा देवी माँ दुर्गा का एक रूप मानी जाती हैं। यह मंदिर स्थानीय समुदाय के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है।


Peaceful Worship Experience
Tara Mata temple near Bishop Cotton School (BCS) Market in Shimla provides a tranquil environment for devotees, especially during morning prayers, fostering a deep spiritual connection within the community.
तारा माता : दयालुता और दिव्य शक्ति की देवी
हिन्दू धर्म की महाविद्याओं में से एक, तारा माता एक अत्यंत शक्तिशाली, करुणामयी और रहस्यमयी रूप हैं आदिशक्ति का। दस महाविद्याओं में उनकी विशेष प्रतिष्ठा है और उन्हें मुक्तिदायिनी, रक्षक एवं ज्ञान की देवी माना जाता है। उनका नाम “तारा” जिसका अर्थ है "रक्षक" या "नौका" — दर्शाता है कि वे अपने भक्तों को संसार रूपी भवसागर से पार लगाती हैं।
शास्त्रों में तारा माता की उत्पत्ति
तारा माता का वर्णन तंत्र ग्रंथों जैसे रूद्रयामल तंत्र और तारा तंत्र में मिलता है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने हलाहल विष पी लिया और अचेत हो गए, तब सभी देवता घबरा गए। उस समय तारा माता ने प्रकट होकर भगवान शिव को पुनः चेतना प्रदान की। इससे वे केवल पोषण करने वाली माता नहीं, बल्कि साक्षात जगत की जीवनदायिनी शक्ति सिद्ध हुईं।
शिमला, बी.सी.एस. (BCS) में तारा माता मंदिर
शिमला के बीसीएस क्षेत्र में स्थित तारा माता मंदिर एक शांत, पवित्र और उर्जा से भरा स्थल है। यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ स्थानीय श्रद्धालु प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने आते हैं। विशेष अवसरों जैसे नवरात्रि, पूर्णिमा और अमावस्या को यहाँ विशेष नवरात्रि पूजन, हवन, लंगर सेवा और कीर्तन होते हैं।
नवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा और व्यापक है। यह पर्व न केवल देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना और शक्ति की उपासना से जुड़ा है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का समय भी है। नवरात्रि के दौरान साधक अपने भीतर की नकारात्मकताओं को त्यागकर, शुद्धता, सच्चाई और शक्ति का अनुभव करते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक भाव से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह लोगों को आंतरिक शांति और शक्ति प्रदान करता है। माना जाता है कि सच्चे मन से यहाँ की गई प्रार्थना अवश्य ही फलीभूत होती है।
पूजा विधि और साधना
तारा माता की पूजा तांत्रिक और वैदिक दोनों रूपों में की जाती है। उनका मंत्र "ॐ तारे तुत्तारे तुरे स्वाहा" अथवा "ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट्" अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। पूजा में सामान्यतः निम्न चीजें अर्पित की जाती हैं:
नीले फूल
दीपक और अगरबत्ती
नारियल और मिश्री
चांदी की तारा या पदुकाएं
साथ ही, साधक तारा चालीसा, तारा कवच या तारा स्तोत्र का पाठ करके देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आधुनिक युग में तारा माता का महत्व
आज के भागदौड़ और तनाव से भरे जीवन में तारा माता एक ऐसा दिव्य सहारा हैं जो हर भय, असुरक्षा और दुख से रक्षा करती हैं। वे न केवल मानसिक शांति प्रदान करती हैं, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से उबारने की शक्ति भी देती हैं।
तारा माता विशेष रूप से उन भक्तों के लिए फलदायिनी होती हैं जो आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हैं, ध्यान और साधना में लीन रहते हैं और जीवन में गहराई से आध्यात्मिकता को अपनाना चाहते हैं।
उपसंहार
तारा माता केवल एक देवी नहीं हैं, वे एक अनुभूति हैं — वे हमें हमारे भीतर की शक्ति, शांति और आत्मज्ञान की याद दिलाती हैं। जो भी भक्त उन्हें सच्चे मन से स्मरण करता है, तारा माता उसका मार्ग प्रशस्त करती हैं।
🙏 जय तारा माता की!
शरण में आए प्रत्येक भक्त का उद्धार हो।
A spiritual center in BCS, Shimla, dedicated to Goddess Tara, serving local devotees with peace.




Maa Durga: The Divine Mother of Strength and Compassion
Maa Durga is the fierce yet compassionate embodiment of Shakti—the divine feminine energy that sustains the universe. Revered as the destroyer of evil and protector of righteousness, Maa Durga was born from the combined energies of the gods to vanquish the demon Mahishasura.Maa Durga ten arms wield weapons of divine power, symbolizing her ability to protect, nurture, and guide. Each of her forms—known as Navadurga—represents different aspects of womanhood, from innocence and strength to wisdom and fearlessness. During festivals like Navratri, devotees worship her with devotion, chanting prayers, observing fasts, doing langar sewa and performing rituals that connect the soul to the divine. In every age, Maa Durga remains a timeless symbol of courage, motherhood, justice, and the inner power that lies within all beings.
Spiritual Significance: Tara Mata governs the energy of speech, truth, and transcendental knowledge. Tara Mata worship is particularly important in Tantra where she is meditated upon for moksha (liberation) and inner awakening. Devotees believe Tara Mata protects against sudden death, fear, and untimely troubles.
Tara Mata Temples and Worship: Tara Mata is worshipped with great reverence in Eastern India, Nepal, and some Himalayan regions. In Shimla, the Tara Mata temple in BCS is a sacred local site where devotees offer prayers for protection, wisdom, and blessings. Offerings of blue flowers, coconut, and chanting of the Tara Mata mantra are common forms of worship.
The Tara Mata Mandir in Bishop Cotton School, BCS, Shimla is a significant spiritual center for local devotees dedicated to Goddess Tara.
Local
Bishop Cotton School, near BCS market, Shimla
Hours
6 AM- 8 PM
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Address: Tara Mata Mandir, Near Bishop cotton school,
BCS Market, Shimla, Himachal Pradesh.
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ।।
जटा जूट समायुक्तमर्धेंन्दु कृत लक्षणामलोचनत्रय संयुक्तां पद्मेन्दुसद्यशाननाम ।।
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा ।।
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